एक बार जब स्वामी विवेकानंद जी अमेरिका गए थे, एक महिला ने उनसे शादीकरने की इच्छा जताई। जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पुछा कि आप नेऐसा प्रश्न क्यूँ किया ?
उस महिला का उत्तर था कि वो उनकी बुद्धि से बहुत मोहित है और उसे एक ऐसे हीबुद्धिमान बच्चे कि कामनाहै।
इसीलिए उसने स्वामी से येप्रश्न कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं ?
उन्होंने महिला से कहा किचूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा:
...
“ प्रिये महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ। शादीकरना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा, इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है।
इसके बजाय, आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैंआपको एक सुझाव दे सकता हूँ।
आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें। इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरेजैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।“
उस महिला का उत्तर था कि वो उनकी बुद्धि से बहुत मोहित है और उसे एक ऐसे हीबुद्धिमान बच्चे कि कामनाहै।
इसीलिए उसने स्वामी से येप्रश्न कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं ?
उन्होंने महिला से कहा किचूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा:
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“ प्रिये महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ। शादीकरना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा, इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है।
इसके बजाय, आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैंआपको एक सुझाव दे सकता हूँ।
आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें। इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरेजैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।“
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