Sunday, October 30, 2011

प्रीतम बोलो कब आवोगे

प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे 
कब वीना की झंकारो पेय कोई अमर गीत बन छावोगे 
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे 
यह प्यार भरा दिल रोता है थराते लम्बे साँसों में आसुँ की माल पिरोता है 
अंधियारी सुनी कुंजों में रातों भर बात जू होता है हंसते इथ्रातें प्यार भरे 
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे 
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे 
सब प्यार जगत का झूठा है कुछ मान भाग्य अप ने पर था पर वो भी समझी फूटा है 
ओह बिगड़ी बना ने वाले क्या तूं भी मुझ से रूठा है सब दूर करो झंझट मेरे 
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो कब आवोगे 
भीगे भीगे नैना तेरी बात तका करते है सुनी सुनी रातों में हम तुम्हे पुकारा करते है 
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे 
जोगन आँचल फेल्लां निकली जग लाज के बंधन तोड़ चली 
कुल कान की आन मिटा निकली सारे श्रृंगार बखेर दिए 
एक भगवा भेष बना निकली में तेरी मोहन तेरी हूँ 
में तेरी प्यारे तेरी हूँ में जैसी हूँ अब तेरी हूँ में तेरी मोहन तेरी हूँ 
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे 
जब शरद चंदर नभ मंडल को अप नि किरणों से धोता है 
प्रेमी चकोर निज प्रीतम के दर्शन कर हर्षित होता है 
इस शरद चांदनी रातों में यह संसार सुखियो हो सोता है 
उस वक़्त मुझे नींद कहाँ दिल तड़फ तड़फ कर रोता है 
श्री क्रिशन मुख चंदर बिना इस शरद चंदर सों काम नहीं 
मेरे जीवन के सब दिन बीत चले पर आये मिले घन शाम नहीं 
प्रीतम बोलो कब आओगे प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे

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