प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे
कब वीना की झंकारो पेय कोई अमर गीत बन छावोगे
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे
यह प्यार भरा दिल रोता है थराते लम्बे साँसों में आसुँ की माल पिरोता है
अंधियारी सुनी कुंजों में रातों भर बात जू होता है हंसते इथ्रातें प्यार भरे
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे
सब प्यार जगत का झूठा है कुछ मान भाग्य अप ने पर था पर वो भी समझी फूटा है
ओह बिगड़ी बना ने वाले क्या तूं भी मुझ से रूठा है सब दूर करो झंझट मेरे
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो कब आवोगे
भीगे भीगे नैना तेरी बात तका करते है सुनी सुनी रातों में हम तुम्हे पुकारा करते है
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे
जोगन आँचल फेल्लां निकली जग लाज के बंधन तोड़ चली
कुल कान की आन मिटा निकली सारे श्रृंगार बखेर दिए
एक भगवा भेष बना निकली में तेरी मोहन तेरी हूँ
में तेरी प्यारे तेरी हूँ में जैसी हूँ अब तेरी हूँ में तेरी मोहन तेरी हूँ
प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे
जब शरद चंदर नभ मंडल को अप नि किरणों से धोता है
प्रेमी चकोर निज प्रीतम के दर्शन कर हर्षित होता है
इस शरद चांदनी रातों में यह संसार सुखियो हो सोता है
उस वक़्त मुझे नींद कहाँ दिल तड़फ तड़फ कर रोता है
श्री क्रिशन मुख चंदर बिना इस शरद चंदर सों काम नहीं
मेरे जीवन के सब दिन बीत चले पर आये मिले घन शाम नहीं
प्रीतम बोलो कब आओगे प्रीतम बोलो कब आवोगे मोहन बोलो आओगे प्रीतम बोलो कब आओगे
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