माखन चुराने आते हो, दिल ही चुराए जाते हो
करते हो अठखेलियाँ नित नए स्वाँग रचाते हो
यशोदा के लल्ला क्यों नित नित हमें सताते हो
करते हो माखन चोरी फिरभी ब्रिज राज कहाते हो
किससे करें शिकायत सुनती नहीं तुम्हारी मैया
भोली भाली बातों से क्या क्या तुम पाठ पढ़ाते हो
मन बेचैन हो जाता है जब नज़रों से दूर हो जाते हो
नैनों में चमक आ जाती है जब गैया चराके आते हो
ये "इश्क" का कैसा मंज़र है, जादू है उस मधुर धुन में
हिरनियाँ भी दौड़ी आती है जब बंसी तुम बजाते हो
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