Friday, December 16, 2011

►कान्हा जी हमे अपनी पायल नही तो



►कान्हा जी हमे अपनी पायल नही तो
►पायल का एक घुँघरू ही बना लो
►और उसे अपने चरणकमलों से लगा लो
►कान्हा जी हमे अपने कंगन नही तो
►...कंगन में जड़ा हुआ एक पत्थर ही बना दो
►और उसे अपनी प्यारी कलाईयों में सजा लो
►कान्हा जी हमे अपनी मुरली नही तो
►अपनी मुरली की कोई धुन ही बना लो
►और उसे अपने अधरों से इक बार तो बजा लो
►कान्हा जी और कुछ नही तो अपने
►चरणों की धूल ही बना लो
►वो चरणधूल फिर ब्रज में उड़ा दो
►सच कहूँ मेरे कान्हा जी देखना फिर
►चरणों की धूलकण बन कैसे इतराऊँ मै....

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