►कान्हा जी हमे अपनी पायल नही तो ►पायल का एक घुँघरू ही बना लो ►और उसे अपने चरणकमलों से लगा लो ►कान्हा जी हमे अपने कंगन नही तो ►...कंगन में जड़ा हुआ एक पत्थर ही बना दो ►और उसे अपनी प्यारी कलाईयों में सजा लो ►कान्हा जी हमे अपनी मुरली नही तो ►अपनी मुरली की कोई धुन ही बना लो ►और उसे अपने अधरों से इक बार तो बजा लो ►कान्हा जी और कुछ नही तो अपने ►चरणों की धूल ही बना लो ►वो चरणधूल फिर ब्रज में उड़ा दो ►सच कहूँ मेरे कान्हा जी देखना फिर ►चरणों की धूलकण बन कैसे इतराऊँ मै....
No comments:
Post a Comment